आज का हमारा लेख दिवाली पर है! जैसा की आपने हमारा टाइटल तो पढ़ ही लिया होगा “DIWALI ESSAY IN HINDI दिवाली पर निबंध” जो बच्चों के लिए भी काफी ज्ञानवर्धक होने वाला है !
दिवाली हिन्दुओ का प्रमुख त्योहार है! और ये हर साल बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है इस साल भी दिवाली आने वाली है! और मैंने सोचा क्यों न इस बार दिवाली के बारे में अपने विचार आप से साझा करुँ !
बचपन में स्कूल वाले भी दिवाली से पहले दिवाली पर निबंध लिखने को बोल देते थे ! और इस बार उस याद को खुद ब खुद ताज़ा करने की सोची और लिख दिया दिवाली पर ये निबंध ! उम्मीद करता हूँ आप सभी को ये पसंद आएगा !
भूमिका
भारत त्योहारों का देश है। यहां बहुत से त्यौहार मनाये जाते है। यहाँ फसलों के पकने और महापुरषो के जन्मदिवस को भी त्योहारों के रूप में मनाया जाता है। भारत के प्रमुख त्यौहार रक्षाबंधन , होली, दिवाली आदि है। जिनमे दिवाली एक प्रसिद्ध त्यौहार है।
इसे बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है। दिवाली को “प्रकाश के उत्सव” के रूप में भी माना जाता है। यह कार्तिक मास में नवचन्द्र या ( अमावस्या ) के शुभ दिन मनाया जाता है, जो प्राय: अक्टूबर या नवंबर के महीने में आता है।
त्यौहार से एक दिन पहले का दिन नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है। हिन्दू धर्म में इस त्यौहार का बड़ा महत्व है।
ऐतिहासिक आधार
दिवाली का इतिहास बहुत ही महत्वपूर्ण और धार्मिक है! हिन्दुओ के अनुसार इस दिन भगवान श्री राम लंका पर विजय प्राप्त कर तथा अपना १४ वर्ष का वनवास समाप्त कर अपनी पत्नी सीता और अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापिस लोटे थे!
उनके आने की खुशी में आयोध्या वासियो ने पुरे नगर में घी के दीये जलाये थे! तब से लेकर आज तक इसे दिवाली के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है! दूसरे धर्म भी इस त्यौहार को अलग अलग रूप में मनाते है!
इस दिन आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने महासमाधि ली थी और इसी दिन ही जैन धर्म के तीर्थकर महावीर स्वामी ने निर्वाण प्राप्त किया था। इसी प्रकार सिख अपने छठे गुरु ( हरगोविंद ) की याद में इस त्यौहार को मनाते है क्योकि उन्होंने इस दिन बंदी गृह से मुक्ति प्राप्त की थी।
दिवाली की तैयारियां
इस दिन की तैयारी घरो की सफाई से शुरू होती है। जो लोग दिवाली से एक दो महीने पहले ही शुरू कर देते है और घरो की लिपाई पुताई करवाते है। इससे मख्खी , मछर भी दूर हो जाते है। बाज़ारो में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है।
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दूकानदार लोगो का ध्यान आकर्षित करने के लिए अपनी दुकानों को बहुत ही सुन्दर सजाते है। लोग बाजार जाकर अपने घरो के लिए सजावट का सामान और बच्चो के लिए नए नए कपडे खरीदते है। लोग अपने सगे सम्बन्धियों को देने के लिए उपहार खरीद कर लाते है।
दिवाली के दिन
इस दिन घर के सभी लोग सुबह नहा धोकर खीर और हलवे का प्रशाद बनाते है! और अपने देवी पितरों की पूजा करते है! बच्चे नए नए कपड़े पहनते है! लोग बाजार जाकर मिठाइयाँ ,बच्चो के लिए पटाखे , फुलझड़ियाँ आदि खरीदते है।
दिवाली की रात सभी घरो में मिटटी के दिए जलाये जाते है। लड़कियों द्वारा इस दिन घरो में सुन्दर रंगोली बनाई जाती है। सभी लोग इस रात लक्ष्मी पूजन करते है। लक्ष्मी को धन तथा संपदा की देवी के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है की इस रात घरो में लक्ष्मी का आगमन होता है , जिस कारण लोग अपने घरो के दरवाजे प्राय: खोलकर रखते है।
इस रात लक्ष्मी के साथ साथ गणेश और सस्वती की भी पूजा की जाती है! पूजा करने के बाद लोग एक दूसरे को मिठाइयां बांटते है! उपहार देते है और बच्चे फुलझड़ियां तथा पटाखे जलाकर दिवाली मनाते है।
कभी कभी पटाखों को लापरवाही से बजाते समय बच्चो के हाथ पांव भी जल जाते है और कहीं कहीं पटाखों के कारण आग की दुर्घटना भी होती है। इसलिए हमें इस पर्व को सावधानी के साथ मनाना चाहिए। इस रात आसमान रंगबिरंगी आतिशबाजियो से भरा दिखाई देता है। चारो तरफ एक उत्साह का माहौल बना रहता है। इस प्रकार दिवाली एक खुशियों का त्यौहार है।
DIWALI ESSAY IN HINDI दिवाली पर निबंध
कुप्रथाएं
एक ओर जहां दिवाली को खुशियों के त्यौहार के रूप में मनाया जाता है! वहीं दूसरी ओर कुछ लोगो द्वारा इस दिन गलत काम भी किये जाते है! जिसमें जुआ खेलना , शराब पीना आदि शामिल है।
जो लोग जुआ खेलते है उनका विश्वास है कि अगर इस दिन वे जीत गए तो पूरा साल उन पर लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। दिवाली की रात कुछ लोग अंधविश्वास भी बढ़ावा देते है और तंत्र विद्या , काला जादू आदि सीखते है।
निष्कर्ष
दिवाली का त्यौहार मानव जाति को अच्छे काम करने की प्रेरणा देता है! और मानव की अंधकार से उजाले की और लेकर जाता है! जिस तरह दीपक जलकर अंधकार समाप्त करके प्रकाश फैला देता है!
उसी तरह दिवाली भी अज्ञानता के अंधकार को हटाकर ज्ञान का प्रकाश हमारे जीवन में भर देती है! दिवाली का त्यौहार सांस्कृतिक और सामाजिक सध्भाव का प्रतीक है! इस त्यौहार की वजह से आज भी लोगो में सामाजिक एकता बनी हुई है!
भारत के लोगो का रहन सहन अलग होते हुए भी सभी द्वारा इसे बड़ी एकता और अखंडता से मनाया जाता है!
दिवाली उत्साह और उमंग से मनाये,
दिए जलाकर अंधकार को मिटायें
दिवाली के साथ मनाये जाने वाले अन्य पर्व
दिवाली का त्यौहार प्राय: ५ दिन तक चलता है। जिसकी शुरुआत धनतेरस के साथ होती है। इस दिन बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है। जिस कारण लोगो द्वारा बाजार जाकर बर्तन खरीदे जाते है। इससे अगले ही दिन को छोटी दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
छोटी दिवाली पर घरो में ५ दिए जलाने की परंपरा है। तीसरा दिन प्रमुख रूप से दिवाली का दिन होता है। दिवाली से अगला दिन गोवेर्धन पूजा का होता है। इस दिन सभी घरो में गाये के गोबर से गोवेर्धन बनाया जाता है और इसकी पूजा की जाती है। साथ ही अस्त्र शस्त्र और औज़ारो का भी पूजन होता है।
पांचवा और अंतिम दिन भाईदूज कहलाता है। जो मुख्यत: भाई और बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन भाई अपनी बहनो के घर जाकर माथे पर तिलक लगवाते है और उन्हें उपहार देते है। बहने अपने भाइयो की लम्बी उम्र की कामना करती है।
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